आजकल हर घर में एक टीवी रूम जरूर होता है।
या लाउंज में ही व्यवस्थित किया जाता है।
हर किसी की अपनी अपनी पसंद होती है कि वे टीवी देखें या न देखें,
लेकिन क्या किसी ने भी अपने घरों में ऐसा कोई कमरा बनाने की कोशिश की है जहाँ जाते ही उसके आत्मा को सुकून (शांति) मिले, नमाज पढ़े, तिलावत सुने, अध्ययन करे।
बेडरूम को यथासंभव आरामदायक बनाएं,
लेकिन असली शांति तो वहीं पाई जाती है।
इसी तरह बच्चों के कमरे को तरह-तरह के कार्टूंस से सजाने के बजाए अगर मस्जिद नुमा (मस्जिद की तरह) बनाए जाएं और उन कमरों में बच्चों के लिए दीनी किताबें भी रखी जाएं तो यह कोई अजब नहीं कि वह बच्चे दीन सीखने और अमल करने में दिलचस्पी न लें।
अपने बच्चों के लिए इबादतों को आसान बनाएं
आदेश का प्रभाव बच्चों पर उतना जल्दी नहीं होता है जितना वह देखकर सीखता है।
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